दो दिवसीय मलंगिया महोत्सव का आयोजन

कला एवं संस्कृति , नई दिल्ली , शनिवार , 11-11-2017


malangiamahotsav

संवाददाता

मैथिली के बहुचर्चित नाटककार महेन्द्र मलंगिया पर केन्द्रित दो-दिवसीय मलंगिया महोत्सव का आयोजन क्रमशः ११ एवं १२ नवम्बर,२०१७ को मेघदूत परिसर,रविन्द्र भवन,मंडी हाउस में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. मलंगिया फाउंडेशन,दिल्ली द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्सव में भारत समेत नेपाल के कई बड़े नामचीन रंगकर्मी व साहित्यकारों ने शिरकत की. दो दिन का यह महोत्सव कुल आठ सत्रों में विभाजित था. ११ नवम्बर को प्रथम सत्र में ‘मिथिलाक लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें पूर्वांचल विश्वविद्यालय,काठमांडू,नेपाल के पूर्व उप-कुलपति डॉ. रामावतार यादव एवं प्रसिद्ध मानवशास्त्री व ब्रेनकोठी संस्था के अध्यक्ष डॉ. कैलाश कुमार मिश्र ने महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया. प्रथम सत्र के इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शेफालिका वर्मा ने की एवं समन्वयक थे जे.एन.यू के प्रोफेसर डॉ. देवशंकर नवीन. दूसरे सत्र में ‘नेपाल-भारत सांस्कृतिक सम्बन्ध आ मलंगिया’ विषय पर संगोष्ठी मे नेपाल से वरिष्ठ साहित्यकार,गीतकार एवं रेडियो संचारकर्मी धीरेन्द्र प्रेमर्षि, शिक्षा निदेशालय,दिल्ली सरकार में कार्यरत डॉ. अजय कुमार झा, जनकपुर,नेपाल से वरिष्ठ रंगकर्मी,संगीतकार एवं गायक सुनील मल्लिक एवं सूचना मंत्रालय,भारत सरकार के योजना पत्रिका के संपादक रितेश पाठक ने महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया. दूसरे सत्र के इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गंगेश गुँजन एवं समन्वयक थे वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अतुल कुमार ठाकुर. तीसरे सत्र में बारहमासा,दिल्ली की प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ‘देह पर कोठी खसा दिय’ का मंचन किया गया, जिसका निर्देशन किया  मुकेश झा ने. पहले दिन के चौथे और अंतिम सत्र में मलंगिया फाउन्डेशन,दिल्ली की प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ‘ओ खाली मुँह देखै छै’ जिसका निर्देशन किया मलंगिया फाउंडेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार झा ‘मलंगिया’ ने. 


महोत्सव के दूसरे और अंतिम दिन १२ नवम्बर को प्रथम सत्र में ‘महेन्द्र मलंगियाक नाट्यभाषा’ विषय पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे पटना से रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी, सहरसा से वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक किसलय कृष्ण एवं दिल्ली से युवा कवि लेखक डॉ. अरुणाभ सौरभ. प्रथम सत्र के इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र मल्लिक एवं समन्वयक थे वरिष्ठ रंगकर्मी काश्यप कमल. दूसरे सत्र में ‘महेन्द्र मलंगिया नाटकक निर्देशन क्षेत्र’ विषय पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे दिल्ली से वरिष्ठ अध्येतावृत्ति एवं मैलोरंग संस्था के निदेशक डॉ. प्रकाश चन्द्र झा एवं पटना से वरिष्ठ रंगकर्मी किशोर केशव. दूसरे सत्र के इस संगोष्ठी की अध्यक्षता संगीत नाटक अकादमी के उप-सचिव सुमन कुमार एवं समन्वयक थे फोर्ड फाउंडेशन फेलो अभिषेक देव नारायण. तीसरे सत्र में अछिन्जल,मधुबनी की प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ‘हाय रे हमर घरवाली’ का मंचन किया गया जिसका निर्देशन किया अभिषेक देव नारायण ने. चौथे और अंतिम सत्र में भंगिमा,पटना की प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ‘काठक लोक’का मंचन किया गया जिसका निर्देशन किया कुमार गगन ने. संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों मे मंच सञ्चालन किया कुमकुम झा एवं मनीष झा ‘बौआभाइ’ ने.


भारत और नेपाल के सांस्कृतिक सौहार्द्र सम्बन्ध में नाटककार महेन्द्र मलंगिया के योगदान को समान रूप से सराहा जाता है. मलंगिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस महोत्सव में कला-साहित्य एवं संस्कृति क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्तियों ने अपना वक्तव्य दिया. महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटकों का मंचन विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया गया. संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार एवं बीपी कोइराला फाउंडेशन, भारत नेपाल प्रतिष्ठान के सौजन्य से आयोजित इस महोत्सव के सहयोगी संस्था के रूप मे मलंगिया आर्ट्स,संगीत नाटक अकादमी,दिल्ली एवं अछिन्जल,मधुबनी का खासा योगदान रहा. 





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